आज गांधी जी की पुण्य-तिथि है। अख़बार और नेट पर भी एक दो ही सन्देश देखने को मिले। शायद महापुरुषो की महानता भी हमारी राजनीति की मोहताज है। शायद इस सरकार में गांधी को गोडसे से रेप्लेस कर दिया जाये, क्योंकि हिंदुत्व, हिन्दूदेश का नारा तो यही दे सकते हैं। संविधान के महत्वपूर्ण शब्दों में बदलाव का प्रयास यही कर सकते हैं जिनको भ्रातृत्व और धर्मनिरपेक्षता नहीं पसन्द और भारत को फासीवाद की तरफ ले जाने की पूरी तैयारी में हैं. शायद अब लोकतंत्र और मानवाधिकार की बात करना देशद्रोह बन जायेगा . भारत में अब दलितों , मुस्लिमों, ईसाईयों और मानवाधिकार समर्थकों का रहना जुर्म बन जायेगा .
गाँधी जी को नमन जोकि भारत में एक धर्म विशेष के प्रति संवेदनशील लोगों की गोली का शिकार हुए और लोकतन्त्र को स्थापित करने में इन लोगों की अक्षमता को हमारे सामने लाये। इनके लिए धर्म परिवर्तन और अंधभक्ति सबसे ज्यादा प्रिय है और देश में गरीबी , अन्याय और असमानता इनकी विकास नीतियों का हिस्सा नहीं है.
कुछ दिनों बाद इनके नेताओं को भगवान का अवतार, धर्म प्रचारक और शूद्रों का विनाशक नाम से पूजा जायेगा.
काश हम भारत की गगरिमा और भाईचारे को इन विनाश्कों से बचा सके.
जय भारत .
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